हमारे देश में वन अग्नि एक नियमित घटना है जो अक्सर गर्मियों के दौरान देखी जाती है। मोडिस (मॉडरेट रेजोल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रो-रेडियोमीटर) सेंसर का उपयोग करके 52,785 वन अग्नि का पता लगाया गया और नवंबर 2020 से जून 2021 तक वन अग्नि के मौसम में एसएनपीपी-VIIRS (सुओमी-नेशनल पोलर-ऑर्बिटिंग पार्टनरशिप - विज़िबल इन्फ्रारेड इमेजिंग रेडियोमीटर सूट) का उपयोग करके 3,45,989 वन अग्नि का पता लगाया गया। कई प्रकार के वनों में गंभीर आग लगती है, विशेष रूप से शुष्क पर्णपाती वन, जबकि सदाबहार, अर्ध-सदाबहार और पर्वतीय सम शीतोष्ण वन तुलनात्मक रूप से कम संवेदनशील होते हैं (आईएसएफआर 2015)। अनुमान लगाया गया है कि देश के 36% से अधिक वनाच्छादन में अक्सर वन अग्नि खतरा रहता है। देश का लगभग 4% वन क्षेत्र आग के प्रति अत्यंत संवेदनशील है, जबकि 6% वन आवरण अत्यधिक अग्नि प्रवण पाया गया है (ISFR 2019)। हर साल वनों के बड़े क्षेत्र अलग-अलग तीव्रता और सीमा की आग से प्रभावित होते हैं। वन इन्वेंटरीके रिकॉर्ड के आधार पर, भारत में 54.40% वन कभी-कभी आग के संपर्क में आते हैं, 7.49% मामूली बार-बार लगने वाली आग और 2.40% उच्च घटना स्तर के होते हैं,
जबकि भारत के 35.71% वन अभी तक किसी भी वास्तविक महत्व की आग के संपर्क में नहीं आए हैं। बायोमास में बंद कार्बन सहित कीमती वन संसाधन हर साल वन अग्नि के कारण खो जाते हैं, जो वनों से वस्तुओं और सेवाओं के प्रवाह पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। उपग्रह आधारित रिमोट सेंसिंग तकनीक और जीआईएस उपकरण आग की बेहतर रोकथाम और प्रबंधन के लिए आग की संभावना वाले क्षेत्रों के लिए प्रारंभिक चेतावनी, वास्तविक समय के आधार पर आग की निगरानी और जले हुए निशान के आकलन के माध्यम से प्रभावी रहे हैं।
सैटेलाइट आधारित रिमोट सेंसिंग तकनीक और जीआईएस उपकरण कनाडा के फॉरेस्ट फायर डेंजर रेटिंग सिस्टम (सीएफएफडीआरएस) के फायर वेदर इंडेक्स (एफडब्ल्यूआई) पर आधारित फॉरेस्ट फायर डेंजर रेटिंग सिस्टम के निर्माण के माध्यम से आग की बेहतर रोकथाम और प्रबंधन में प्रभावी रहे हैं। वास्तविक समय के आधार पर वन अग्नि का पता लगाने और वृहद् वन अग्नि की निगरानी करना और आग प्रभावित क्षेत्रों का अनुमान लगाना।
एफएसआई में वन अग्नि गतिविधियों की समय रेखा
वर्ष |
मील के पत्थर |
2004 |
ई-मेल/फैक्स के माध्यम से जिला स्तर तक एमओडीआईएस डेटा के आधार पर वन अग्नि अलर्ट का प्रसार शुरू किया |
2008 |
राज्य/जिला में आग लगने की संख्या पर एसएमएस अलर्ट की शुरुआत |
2012 |
1 |
एसएमएस अलर्ट के साथ जिला स्तर तक ईमेल अलर्ट में केएमएल फाइलों को शामिल किया गया |
2 |
आग के प्रति भारत के वनों की भेद्यता" रिपोर्ट का प्रकाशन |
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2016 |
1 |
पाइथन स्क्रिप्ट का उपयोग कर नोडल अधिकारियों को स्वचालित ईमेल अलर्ट की शुरूआत |
2 |
2015 और 2016 के लिए देश भर में जले निशान के आकलन पर 2 प्रारंभिक अध्ययन |
3 |
उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश के लिए पूर्व-चेतावनी अलर्ट प्रायोगिक तौर पर शुरू किए गए |
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2017 |
1 |
सम्पूर्ण एफ.एस.आई. वन अग्नि अलर्ट सिस्टम का पूर्ण स्वचालन |
2 |
SNPP-VIIRS सेंसर जोड़ा गया |
3 |
पूरे भारत में वन अग्नि चेतावनी का बीट स्तर तक प्रचार-प्रसार |
4 |
पूर्व अग्नि अलर्ट प्रायोगिक तौर पर चलाए गए |
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2018 |
वन अग्नि अलर्ट के लिए बेहतर फीड बैक प्रणाली की शुरूआत |
2019 |
1 |
उपग्रह आधारित वृहत वन अग्नि निगरानी कार्यक्रम की शुरूआत |
2 |
फायर वेदर इंडेक्स के आधार पर एफएसआई वनअग्नि जियो-पोर्टल |
3 |
प्री-फायर अलर्ट |
4 |
अग्नि प्रवण वन क्षेत्र की पहचान |
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2020 |
1 |
वन अग्नि के खतरे की रेटिंग शुरू की |
2 |
वृहद् वन अग्नि निगरानी प्रणाली और एफएसआई वन अग्नि जियो-पोर्टल का सुदृढ़ीकरण |
3 |
राज्य वन विभाग को WMS और API |
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2021 |
1 |
जूकौ वैली, सिमिलिपाल टीआर, बांधवगढ़ टीआर आदि जैसे वृहद् वन अग्नि की आग की घटनाओं की विशेष निगरानी |
2 |
प्रदेश में वन अग्नि के अलर्ट में असामान्य वृद्धि की विशेष रिपोर्ट |
3 |
प्री-फायर अलर्ट की विशेष रिपोर्ट |
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